अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शुक्रवार को एक हाथी बेकाबू हो गया और 100 मीटर तक भागा। इसके बाद रथ यात्रा में भगदड़ सी मच गई। लोग इधर-उधर भागते दिखे। बेकाबू हुआ हाथी 17 हाथियों के ग्रुप में सबसे आगे चल रहा था। जानकारी के अनुसार, हाथी डीजे और सीटी की आवाज से बेकाबू हुआ था। हाथी को वन विभाग के अमले ने दो मादा हाथियों की मदद से काबू में किया। इसके बाद उसे और दोनों मादा हाथियों को जुलूस से हटा दिया गया। बाकी यात्रा में 14 हाथी शामिल हुए।
शुक्रवार सुबह रथ यात्रा निकल रही थी। खाड़िया क्षेत्र के पास जैसे ही रथ पहुंचा, सबसे आगे चल रहा नर हाथी अचानक उत्तेजित हो गया। तेज आवाज में बज रहे डीजे और सीटी की आवाजों से वह घबरा गया। वह तेजी से दौड़ते हुए पास की पोल गली की ओर 100 मीटर भागा, रास्ते में बैरिकेड्स तोड़ दिए और कई लोगों को गिरा दिया। हालांकि, किसी को गंभीर चोट नहीं आई।
मादा हाथियों की मदद से काबू में किया
वन विभाग के अधिकारी आर.के. साहू ने बताया कि हाथी को काबू करने के लिए दो मादा हाथियों की मदद ली गई। मादा हाथियों की उपस्थिति से नर हाथी शांत हुआ और उसे खाड़िया के पास एक सुरक्षित स्थान पर बांध दिया गया। फिलहाल वह शांत और निगरानी में है। अधिकारी ने बताया, “हाथी को हाथी ही काबू कर सकता है, इसीलिए मादा हाथियों को बुलाया गया।”
रथ यात्रा में सजाए गए हाथी हमेशा एक खास आकर्षण का केंद्र रहे हैं। इस साल रथ यात्रा में शामिल सभी हाथियों की शारीरिक और मानसिक सेहत की पूरी जिम्मेदारी अहमदाबाद जिले के पशुपालन विभाग द्वारा निभाई गई।
23 जून से हाथियों के स्वास्थ्य की लगातार निगरानी
अहमदाबाद जिले के उप पशुपालन निदेशक सुकेतु उपाध्याय ने बताया कि 23 जून से हाथियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जा रही थी। सभी हाथियों का हेल्थ चेकअप किया गया और उन्हें स्वास्थ्य प्रमाण पत्र (हेल्थ सर्टिफिकेट) भी जारी किए गए। वेटरनरी टीम यह भी तय करती है कि हाथियों को मक्खी या अन्य कीड़े परेशान न करें। यदि कोई बीमारी हो तो उसका समय पर इलाज किया जाता है, ताकि हाथियों की सेहत बनी रहे।
उपाध्याय ने यह भी बताया कि रथ यात्रा के दौरान लगातार तीन दिन तक हाथियों की सेहत पर नजर रखी जाती है। वन विभाग और वेटरिनरी विभाग की टीमें हाथियों के साथ रहती हैं, ताकि उन्हें कोई परेशानी या तनाव न हो। अगर कोई हाथी मानसिक संतुलन या मिजाज खो देता है, तो वन विभाग की टीम डार्ट गन से इंजेक्शन देकर उसे कंट्रोल करती है।