नई दिल्ली: एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी स्पेसएक्स को भारत में स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ऑपरेट करने के लिए टेलीकॉम मिनिस्ट्री का लाइसेंस मिल गया है। अब उसे सिर्फ इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर यानी IN-SPACe के अप्रूवल का इंतजार है। ये जानकारी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दी गई है। स्टारलिंक तीसरी कंपनी है, जिसे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ऑपरेट करने का लाइसेंस मिला है। इससे पहले वनवेब और रिलायंस जियो को मंजूरी मिली थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टारलिंक भारत में 840 रुपये में महीनेभर अनलिमिटेड डेटा देगा। आधिकारिक तौर पर मस्क की कंपनी ने इसकी जानकारी नहीं दी है। स्टारलिंक, स्पेसएक्स का प्रोजेक्ट है, जो सैटेलाइट्स के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट देता है। इसके सैटेलाइट्स पृथ्वी के करीब घूमते हैं, जिससे इंटरनेट तेज और स्मूथ चलता है। ये खासकर उन इलाकों के लिए फायदेमंद है, जैसे- गांव या पहाड़, जहां आम इंटरनेट नहीं पहुंचता।
भारत में स्टारलिंक के इंटरनेट प्लान्स की कीमत
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, स्पेसएक्स भारत में अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज मंथली 10 डॉलर यानी लगभग 840 रुपये से कम कीमत वाले शुरुआती प्रमोशनल अनलिमिटेड डेटा प्लान से शुरू करेगा। स्टारलिंक 2022 से कोशिश कर रही थी, लेकिन सिक्योरिटी चिंताओं की वजह से देरी हुई। भारत सरकार ने डेटा सिक्योरिटी और कॉल इंटरसेप्शन जैसी शर्तें रखी थीं। स्टारलिंक ने इन शर्तों को माना और मई 2025 में लेटर ऑफ इंटेंट मिलने के बाद अब लाइसेंस मिल गया।
आम लोगों को क्या फायदा होगा?
स्टारलिंक से गांवों और दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचेगा, जिससे ऑनलाइन एजुकेशन, टेलीमेडिसिन और बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, टेलीकॉम मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सस्ते और बेहतर प्लान्स मिल सकते हैं। स्टारलिंक को अब IN-SPACe से फाइनल अप्रूवल और स्पेक्ट्रम चाहिए। अगले 15-20 दिनों में ट्रायल स्पेक्ट्रम मिल सकता है और फिर कॉमर्शियल सर्विस शुरू होगी।
गौरतलब है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट मार्केट है। एलन मस्क के लिए ये लाइसेंस बड़ी कामयाबी है, खासकर जब अमेरिका में उनकी डोनाल्ड ट्रम्प के साथ तनातनी चल रही है। इससे स्पेसएक्स के कॉन्ट्रैक्ट्स खतरे में हैं।
सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट?
सैटेलाइट धरती के किसी भी हिस्से से बीम इंटरनेट कवरेज को संभव बनाती है। सैटेलाइट के नेटवर्क से यूजर्स को हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट कवरेज मिलता है। लेटेंसी का मतलब उस समय से होता है जो डेटा को एक पॉइंट से दूसरे तक पहुंचाने में लगता है।
स्टारलिंक किट में स्टारलिंक डिश, एक वाई-फाई राउटर, पॉवर सप्लाई केबल्स और माउंटिंग ट्राइपॉड होता है। हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए डिश को खुले आसमान के नीचे रखना होगा। iOS और एंड्रॉइड पर स्टारलिंक का ऐप मौजूद है, जो सेटअप से लेकर मॉनिटरिंग करता है।
जून 2020 में सरकार ने स्थापित किया था IN-SPACe
बताते चलें कि डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने जून, 2020 में IN-SPACe को स्थापित किया था। यह स्पेस एक्टिविटीज में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को रेगुलेट करने और उसे सुविधाजनक बनाने के लिए सिंगल-विंडो एजेंसी के रूप में काम करती है। IN-SPACe नॉन-गवर्नमेंटल एंटिटीज के लिए लाइसेंसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग और स्पेस बेस्ड सर्विसेज को बढ़ावा देने का काम भी करती है।