श्रावस्ती: जनपद के भिनगा स्थित जिला न्यायालय परिसर में बुधवार को ‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’ अभियान के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष बेचन राम मुख्य अतिथि रहे। मत्स्य विभाग के महानिदेशक राजेश प्रकाश विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। साथ ही जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी और जिला जज राकेश धर दुबे ने भी शिरकत की।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष बेचन राम ने कहा कि पेड़-पौधों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है। ऋतु चक्र को संतुलित बनाए रखने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना चाहिए और उनका संरक्षण करना भी अनिवार्य है। हमें पौधे का पेड़ बनने तक बच्चों की तरह संरक्षण करना चाहिए। एक पेड़ सैकड़ों जिंदगियां बचाने में सक्षम होता है।
श्रावस्ती विधायक ने कहा- पौधरोपण अनिवार्य है
वहीं, श्रावस्ती विधायक रामफेरन पाण्डेय ने कहा कि प्रकृति को बचाए रखने के लिए पौधारोपण अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण करना प्रत्येक मनुष्य की नैतिक जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें आगे आना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए। भिनगा विधायक इंद्राणी वर्मा ने कहा कि पर्यावरण को शुद्ध रखने में पेड़-पौधों की महती भूमिका होती है। पेड़-पौधे पर्यावरण की अशुद्धियों को सोख लेते हैं और हमें शुद्ध प्राणदायिनी वायु देते हैं। इसकी निरंतरता बनाए रखने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
इस दौरान जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार वर्ष 2025-26 के लिए पूरे प्रदेश में 37 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें शासन द्वारा श्रावस्ती के लिए करीब 50 लाख पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके तहत वन विभाग द्वारा 27 लाख और शेष अन्य विभाग द्वारा पौधों का रोपण किया गया है। उन्होंने कहा कि पौधों की देखभाल के लिए उचित व्यवस्था की गई है। उन्होंने सभी जनपदवासियों से अपनी मां के नाम एक पेड़ लगाने की अपील की है।
सभी ने लगाए पौधे
कार्यक्रम में 62वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल से कमांडेंट अमरेंद्र कुमार वरुण, उप-कमांडेंट सोनू कुमार और गोबर्धन पुजारी भी मौजूद रहे। सभी अतिथियों और अधिकारियों ने अपने हाथों से पौधे लगाए। जिला प्रशासन के अधिकारी, न्यायिक अधिकारी, एसएसबी जवान, अधिवक्ता और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ वृक्षों के प्रति लोगों में भावनात्मक जुड़ाव और जिम्मेदारी की भावना विकसित करना है।